बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने बयान से सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। शुक्रवार को पार्टी के आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से तेज प्रताप यादव का एक बयान साझा किया गया, जिसे सीधे तौर पर उनके छोटे भाई और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि पोस्ट में तेजस्वी यादव का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन संदर्भ साफ तौर पर उनकी हालिया विदेश यात्रा से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।
तेज प्रताप यादव ने अपने बयान में साफ कहा कि उनका जुड़ाव विदेशों से नहीं, बल्कि बिहार की जनता से है। उन्होंने लिखा, “जिनको विदेश जाना है, वो विदेश में जाकर घूमे और रहे, लेकिन हम जिएंगे तो बिहार के लिए और मरेंगे तो बिहार के लिए।” इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक तेजस्वी यादव की विदेश यात्रा पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी मान रहे हैं। तेज प्रताप ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका मुख्य उद्देश्य राज्य की गरीब, दलित और वंचित आबादी के अधिकारों की लड़ाई लड़ना है।
बिहार की जनता के लिए संघर्ष का संकल्प
अपने बयान में तेज प्रताप यादव ने आगे कहा कि वे बिहार के गरीब, दलित और वंचित परिवारों के हक और अधिकार के लिए पूरी मजबूती के साथ संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि इन वर्गों के जीवन को समृद्ध बनाना ही उनका दृढ़ संकल्प है। उनके इस बयान को पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच एक भावनात्मक अपील के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने खुद को जमीन से जुड़ा नेता दिखाने की कोशिश की है।
तेज प्रताप यादव लंबे समय से अपने अलग राजनीतिक अंदाज और बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। इस बार भी उनका बयान न केवल विपक्ष, बल्कि अपने ही राजनीतिक परिवार के भीतर भी सियासी संदेश देने वाला माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर इस पोस्ट के बाद राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह महज एक विचारात्मक बयान है या फिर परिवार और पार्टी के भीतर चल रही खींचतान का संकेत।
तेजस्वी यादव की विदेश यात्रा पर पहले से सियासी बवाल
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव को लेकर हाल के दिनों में यह चर्चा रही है कि वे अपने परिवार के साथ यूरोप यात्रा पर गए हैं। बताया जा रहा है कि एक से पांच दिसंबर तक जब बिहार विधानसभा का सत्र चल रहा था, उसी दौरान वे विदेश चले गए। इस मुद्दे को लेकर सत्ताधारी दल के नेताओं ने लगातार सवाल उठाए थे। बीजेपी ने तो अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से तेजस्वी यादव के “लापता” होने से जुड़े पोस्टर भी साझा किए थे, जिससे मामला और ज्यादा गरमा गया था।
सत्ताधारी दल का आरोप रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष के नेता का विदेश यात्रा पर जाना गैर-जिम्मेदाराना है। वहीं, आरजेडी और महागठबंधन के नेताओं ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया है।
मुकेश सहनी ने किया तेजस्वी यादव का बचाव
इस पूरे मामले पर महागठबंधन में डिप्टी सीएम के चेहरे रहे और विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी से भी पत्रकारों ने सवाल किए थे। मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव का बचाव करते हुए कहा था कि चुनाव हारने के बाद फिलहाल विपक्ष को स्थिति का आकलन करने का समय चाहिए। उन्होंने कहा, “अभी तो हम लोग चुनाव हारे हैं। बिहार में रहकर ही क्या करेंगे। सरकार को तीन महीने का समय दिया है, फिर सवाल करेंगे। मैदान नहीं छोड़ा है। मुकेश सहनी के इस बयान से यह संकेत मिला था कि महागठबंधन के भीतर फिलहाल संयम बरतने की कोशिश हो रही है। हालांकि तेज प्रताप यादव के ताजा बयान ने एक बार फिर चर्चाओं को हवा दे दी है।
बढ़ती बयानबाजी और सियासी मायने
तेज प्रताप यादव का यह बयान ऐसे समय आया है, जब बिहार की राजनीति में विपक्ष अपनी भूमिका और रणनीति को लेकर मंथन कर रहा है। बिना नाम लिए तेजस्वी यादव पर किया गया यह हमला राजनीतिक तौर पर कई संकेत देता है। कुछ इसे जनता से जुड़े रहने का संदेश मान रहे हैं, तो कुछ इसे पारिवारिक और राजनीतिक मतभेद के रूप में देख रहे हैं।
कुल मिलाकर, तेज प्रताप यादव के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का महागठबंधन और आरजेडी की आंतरिक राजनीति पर क्या असर पड़ता है और तेजस्वी यादव या पार्टी नेतृत्व इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है।