वॉशिंगटन डीसी। रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से चल रहे विनाशकारी युद्ध को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वाकांक्षी 28 सूत्रीय शांति योजना पेश की है। इस योजना को व्हाइट हाउस का समर्थन प्राप्त है और इसे अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और ट्रंप के विशेष वार्ताकार स्टीव विटकॉफ ने मिलकर तैयार किया है। हालांकि, इस पीस प्लान की शर्तें रूस को अधिक रियायतें देने पर केंद्रित हैं, लेकिन व्हाइट हाउस का तर्क है कि मौजूदा जटिल परिस्थितियों में यह सबसे व्यावहारिक और बेहतर समाधान है, जो दोनों देशों के बीच युद्धविराम के लिए शांति वार्ता का मार्ग खोल सकता है।
शांति योजना में यूक्रेन के लिए कठोर शर्तें
ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित इस योजना में यूक्रेन के लिए कई ऐसी शर्तें रखी गई हैं, जिन्हें कीव के लिए स्वीकार करना बेहद मुश्किल हो सकता है:
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क्षेत्रीय रियायतें: यूक्रेन को विवादित डोनबास क्षेत्र रूस को सौंपना होगा।
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क्रीमिया की मान्यता: यूक्रेन को क्रीमिया को रूस के भू-भाग (Territory) के तौर पर आधिकारिक मान्यता देनी होगी।
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सेना की कटौती: यूक्रेन की सेना के आकार को 50% तक कम करने की शर्त शामिल है।
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मिसाइलों की तैनाती पर रोक: यूक्रेन अपनी सीमा पर किसी भी लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात नहीं करेगा।
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नाटो सदस्यता से इनकार: यूक्रेन को भविष्य में नाटो की सदस्यता नहीं लेने की गारंटी देनी होगी।
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रूसी भाषा को मान्यता: यूक्रेन में रूसी भाषा को आधिकारिक रूप से मान्यता देनी होगी।
यह स्पष्ट है कि योजना का अधिकांश भार यूक्रेन पर डाला गया है, जिससे युद्ध को रोकने के लिए रूस की मुख्य मांगों को पूरा किया जा सके। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर ज़ेलेंस्की की आधिकारिक प्रतिक्रिया का अभी इंतजार है, लेकिन कीव पहले ही इस बात को दोहरा चुका है कि वह रूस को यूक्रेन का कोई भी क्षेत्र रियायत के तौर पर देने की शर्त को स्वीकार नहीं करेगा। ज़ेलेंस्की प्रशासन लगातार मांग करता रहा है कि 1991 की सीमाओं की पूर्ण बहाली ही किसी भी शांति समझौते का आधार होगी।
ट्रंप की पुतिन और ज़ेलेंस्की से अलग-अलग वार्ता
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस शांति योजना को विकसित करने से पहले रूस और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपतियों के साथ अलग-अलग मुलाकातें की हैं।
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पुतिन से मुलाकात: 15 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति ट्रंप ने अलास्का में अमेरिकी सेना के एयरबेस पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात की थी। इस बैठक में, राष्ट्रपति पुतिन ने युद्धविराम के लिए अपनी प्राथमिक शर्तें रखी थीं, और यूक्रेन को नाटो की सदस्यता देने से साफ इनकार कर दिया था।
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ज़ेलेंस्की से मुलाकात: इसके बाद, 22 अगस्त को राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर ज़ेलेंस्की से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। इस दौरान ब्रिटेन, फ्रांस, इटली समेत कई यूरोपीय देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद थे। इन वार्ताओं का उद्देश्य दोनों पक्षों की मांगों और लाल रेखाओं को समझना था, जिसके आधार पर अब यह 28 सूत्रीय प्लान तैयार किया गया है।
फरवरी 2022 से जारी है भीषण युद्ध
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ था और तब से यह भीषण रूप लेता जा रहा है। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, 17 नवंबर तक रूस के 1160 सैनिक युद्ध में मारे जा चुके हैं, और रूस को लगभग 10 लाख करोड़ रुपये तक का बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
हाल ही में, 18-19 नवंबर की रात को रूस ने यूक्रेन पर ताजा और बड़ा हमला किया था, जिसमें रूसी सेना ने यूक्रेन पर करीब 450 से ज्यादा ड्रोन और 45 से ज्यादा मिसाइलें दागी थीं। इस हमले में कथित तौर पर लगभग 25 लोगों की मौत हुई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे। जवाब में, यूक्रेन ने भी रूसी तेल रिफाइनरी रयाजान और ओरेनबर्ग पर ड्रोन हमले किए, जिससे बड़ी आग लग गई और महत्वपूर्ण नुकसान हुआ।
युद्ध के ये आंकड़े और लगातार हो रहे हमले दर्शाते हैं कि दोनों पक्ष सैन्य रूप से डटे हुए हैं। ऐसे माहौल में, ट्रंप का यह शांति प्लान—जो "जमीनी हकीकत" को स्वीकार करते हुए रूस को कुछ क्षेत्रीय लाभ देने का प्रस्ताव करता है—एक कूटनीतिक जोखिम है। व्हाइट हाउस का तर्क है कि किसी भी शांति वार्ता को शुरू करने के लिए कुछ कठोर रियायतें अपरिहार्य हैं, भले ही वे यूक्रेन के लिए कितनी भी दर्दनाक क्यों न हों। इस प्लान की सफलता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगी कि ज़ेलेंस्की प्रशासन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों को कितना त्यागने को तैयार होता है।