जहाँ भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ा हुआ है—विशेषकर दिल्ली में जहाँ वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार है—वहीं यह स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट (EPIC) की एक स्टडी के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण औसत जीवन प्रत्याशा (life expectancy) को औसतन 3.5 साल तक कम कर रहा है। देश की लगभग 1.4 अरब आबादी में से 46% लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय PM2.5 मानक से अधिक है।
भारत में इस बढ़ते स्वास्थ्य जोखिम के विपरीत, आइए जानते हैं कि वे देश, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वायु गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरते हैं, वहाँ के लोग कितने वर्ष तक जीते हैं और उनकी जीवन प्रत्याशा में क्या रुझान रहा है।
WHO मानकों पर खरे उतरने वाले 7 देश
स्विस एयर-क्वालिटी मॉनिटरिंग कंपनी IQAir के 2024 के आँकड़ों के अनुसार, WHO के वायु गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरने वाले दुनिया के केवल सात देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बहामास, बारबाडोस, ग्रेनाडा, एस्तोनिया और आइसलैंड। इन देशों में साफ हवा का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर दिखता है।
| देश |
2021 में औसत जीवन प्रत्याशा |
2000-2021 के बीच वृद्धि/कमी |
| ऑस्ट्रेलिया |
83.1 वर्ष |
3.4 वर्ष की वृद्धि |
| न्यूजीलैंड |
82.2 वर्ष |
3.63 वर्ष की वृद्धि |
| आइसलैंड |
82.6 वर्ष |
2.89 वर्ष की वृद्धि |
| एस्तोनिया |
77.1 वर्ष |
6.16 वर्ष की सबसे अधिक वृद्धि |
| बारबाडोस |
76.8 वर्ष |
2.24 वर्ष की वृद्धि |
| ग्रेनेडा |
72.8 वर्ष |
1.18 वर्ष की वृद्धि |
| बहामास |
70.4 वर्ष |
0.535 वर्ष की कमी |
इन स्वच्छ हवा वाले देशों में से अधिकांश ने 2000 से 2021 के बीच अपनी जीवन प्रत्याशा में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। एस्तोनिया में यह वृद्धि 6.16 वर्ष रही, जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में औसत जीवन प्रत्याशा 82 वर्ष से अधिक है, जो साफ हवा के प्रत्यक्ष लाभ को दर्शाता है। हालांकि, बहामास में इसी अवधि में 0.535 वर्ष की हल्की कमी भी दर्ज की गई है।
🇮🇳 भारतमें प्रदूषण का प्रभाव
प्रदूषण के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक है। EPIC की स्टडी के अनुसार:
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राष्ट्रीय स्तर पर: वायु प्रदूषण औसत जीवन प्रत्याशा को 3.5 साल कम कर रहा है।
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सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र: उत्तरी भारत, जिसमें 5.44 करोड़ लोग रहते हैं, दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है।
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प्रमुख शहरों/राज्यों में हानि:
यदि प्रदूषण को कम करके राष्ट्रीय मानक तक लाया जाए, तो भारतीय नागरिकों की जीवन प्रत्याशा में 1.5 साल का इजाफा हो सकता है।
WHO के अनुसार, 2000 से 2021 के बीच भारत की औसत जीवन प्रत्याशा में 4.11 वर्ष की वृद्धि हुई है, जो 2021 में 67.3 वर्ष तक पहुँची (महिला: 69 वर्ष, पुरुष: 65.8 वर्ष)। यह वृद्धि स्वच्छ हवा वाले देशों की तुलना में कम है, और प्रदूषण का गंभीर स्तर इस प्रगति को बाधित कर रहा है। साफ हवा वाले देशों में जहाँ लोग 70-83 वर्ष तक जीते हैं, वहीं भारत में प्रदूषण की समस्या के कारण जीवन प्रत्याशा कम बनी हुई है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती है।