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बर्बाद' क्रिकेटर लिखने पर गूगल में आता है किसका नाम, क्या आपने कभी सर्च किया, कोई विदेशी नहीं भारतीय स्टार है वो

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Posted On:Tuesday, December 30, 2025

क्रिकेट की दुनिया में कई ऐसी कहानियाँ हैं जो प्रेरणा देती हैं, लेकिन कुछ कहानियाँ एक चेतावनी (Cautionary Tale) की तरह होती हैं। जब हम गूगल पर "बर्बाद क्रिकेटर" या "प्रतिभा का नुकसान" जैसे शब्द खोजते हैं, तो विनोद कांबली का नाम सबसे ऊपर आता है। यह एक ऐसे खिलाड़ी की कहानी है जिसके पास दुनिया जीतने का हुनर था, लेकिन अनुशासन की कमी और गलत आदतों ने उसे शिखर से शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया।

सचिन से भी बड़ा टैलेंट?

विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती और उनके खेल के किस्से भारतीय क्रिकेट इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हैं। मुंबई के आजाद मैदान में 1988 में स्कूल स्तर के हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में इन दोनों ने 664 रनों की ऐतिहासिक साझेदारी की थी। उस समय कांबली ने 349 और सचिन ने 326 रन बनाए थे। क्रिकेट के जानकारों का उस दौर में मानना था कि कांबली के पास सचिन से भी अधिक स्वाभाविक प्रतिभा (Natural Talent) और शॉट्स की रेंज थी।

रिकॉर्ड्स की झड़ी और स्वर्णिम शुरुआत

विनोद कांबली का अंतरराष्ट्रीय टेस्ट करियर किसी सपने जैसा शुरू हुआ था। उन्होंने जो रिकॉर्ड्स बनाए, वे आज भी कई दिग्गजों के लिए सपना हैं:

  • दोहरे शतकों का अंबार: उन्होंने अपने पहले 4 टेस्ट मैचों में लगातार 2 दोहरे शतक जड़कर दुनिया को हैरान कर दिया था।

  • सबसे युवा डबल सेंचुरियन: महज 21 साल और 32 दिन की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ 224 रन बनाकर वह भारत के सबसे युवा दोहरा शतक लगाने वाले बल्लेबाज बने।

  • सबसे तेज 1000 रन: उन्होंने केवल 14 टेस्ट पारियों में 1000 रन पूरे किए, जो उस समय भारतीय रिकॉर्ड था।

  • शतकों की रफ़्तार: अपने पहले 7 टेस्ट मैचों में उन्होंने 4 शतक लगाए, जिनमें दो दोहरे शतक शामिल थे।

अनुशासनहीनता और पतन का दौर

जितनी तेजी से कांबली का सितारा चमका, उतनी ही तेजी से वह डूब भी गया। कांबली के पतन के पीछे मुख्य रूप से तीन कारण माने जाते हैं:

  1. अनुशासन की कमी: खेल के प्रति समर्पण और अभ्यास के बजाय कांबली का ध्यान ग्लैमर और पार्टियों की ओर अधिक रहा।

  2. शराब की लत और खराब संगत: कई बार यह खबरें आईं कि शराब की लत और जीवनशैली से जुड़ी गलतियों ने उनके शारीरिक फिटनेस और खेल पर बुरा असर डाला।

  3. भावनात्मक अस्थिरता: 1996 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में श्रीलंका के खिलाफ मिली हार के बाद मैदान पर रोते हुए उनकी तस्वीर आज भी फैंस को याद है। उस हार के बाद वह कभी भी मानसिक रूप से उस मजबूती के साथ वापसी नहीं कर पाए जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जाना जाता है।

सचिन बनाम कांबली: एक सबक

जहां सचिन तेंदुलकर ने अपने टैलेंट को अनुशासन, कड़ी मेहनत और सादगी के साथ जोड़कर दो दशकों तक राज किया, वहीं कांबली महज 23 साल की उम्र में अपना आखिरी टेस्ट खेल चुके थे। उन्होंने भारत के लिए 17 टेस्ट में 54.20 की औसत से 1084 रन बनाए और 104 वनडे मैचों में 2477 रन जोड़े।


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