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Aaj ka Panchang: आज अश्लेषा नक्षत्र के साथ रहेगा साध्य योग, शुभ-अशुभ समय जानने के लिए पढ़ें 15 अक्टूबर का पंचांग

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Posted On:Wednesday, October 15, 2025

15 अक्टूबर 2025 का दिन, हिंदी पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की नवमी और दशमी तिथि के संगम के साथ, एक विशिष्ट ज्योतिषीय विन्यास लेकर आया है। पुष्य और अश्लेषा नक्षत्रों, साथ ही साध्य और शुभ योगों के प्रभाव में, यह बुधवार का दिन कई राशियों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव और अवसरों का संकेत दे रहा है। ग्रह गोचर पर दृष्टि डालें तो, शनि अपनी स्वराशि मीन में, राहु कुंभ में, केतु सिंह में और चंद्र कर्क राशि में विराजमान हैं, जबकि देवगुरु बृहस्पति मिथुन में हैं। मंगल और बुध तुला में, वहीं सूर्य और शुक्र कन्या राशि में गतिशील हैं। इन ग्रहों का संयुक्त प्रभाव आज के दैनिक जीवन पर किस प्रकार पड़ेगा, इस पर ज्योतिषविदों की खास नजर है।

पंचांग- 15.10.2025

युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ शरद
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ कार्तिक
पक्ष __ कृष्ण पक्ष
वार __ बुधवार
तिथि - नवमी 10:33:00
नक्षत्र पुष्य 11:58:56
योग साध्य 26:55:55
करण गर 10:33:00
करण वणिज 22:29:23
चन्द्र राशि - कर्क
सूर्य राशि - कन्या

🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
👉🏻 गंडमूल दोप. 12/00 से

🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁

👉🏻 रमा एकादशी व्रतम्
17/10/25 (शुक्रवार)
👉🏻 धन तेरस/ प्रदोष व्रतम्
18/10/25 (शनिवार)
👉🏻 नरक/ रूप चतुर्दशी
19/10/25 (रविवार)
👉🏻 दीपावली
20/10/25 (सोमवार)
👉🏻 देवपितृ अमावस
21/10/25 (मंगलवार)
👉🏻 अन्नकूट/ गोवर्धन पूजन
22/10/25 (बुधवार)

🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️

|| अच्छा सोचें-सुखी रहें ||

🌞 हमारा सुख हमारी सोच पर ही निर्भर करता है। परिस्थिति से अधिक मनस्थिति हमारे जीवन में सुख-दुःख का निर्धारण करती है। जिन्दगी से हमारी शिकायतों का कारण अभाव नहीं अपितु हमारा स्वभाव होता है। हम केवल खोने का दुःख मनाना तो जानते हैं पर पाने की खुशी नहीं। खुशी के लिए काम करोगे तो खुशी ही मिले यह आवश्यक नहीं, लेकिन खुश होकर काम करोगे तो खुशी अवश्य मिलेगी यह निश्चित है।

🌞 सुख-दु:ख रूपी दो नदियों के संगम का नाम ही तो जीवन है। जिन्दगी से शिकायत करने की अपेक्षा जो प्राप्त है, उसका आनंद लेना सीखो, यही जीवन की वास्तविक उपलब्धि है। शांति एवं आनंद उसी के जीवन में होता है, जिसकी दृष्टि क्या खो दिया की अपेक्षा क्या पाया, इस बात पर होती है। भीतर से प्रसन्न रहिए क्योंकि मन की प्रसन्नता तन के दुःखों को भी कम कर देती है।

जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर, (जयपुर)


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