मुंबई, 11 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) क्या ब्रह्मांड में हम अकेले हैं? सदियों से पूछे जा रहे इस सवाल का जवाब शायद अब बहुत करीब आ गया है। नासा के परसेवरेंस मार्स रोवर ने मंगल ग्रह पर एक ऐसी खोज की है, जिसे वैज्ञानिक प्राचीन सूक्ष्मजीवी जीवन के सबसे मजबूत संभावित संकेत मान रहे हैं। यह खोज लाल ग्रह पर जीवन की संभावना की हमारी समझ को पूरी तरह से बदल सकती है।
रहस्यमयी 'तेंदुए के धब्बे' और 'खसखस के बीज'
परसेवरेंस रोवर, जो 2021 से जेज़ेरो क्रेटर (Jezero Crater) की खोज कर रहा है, ने एक सूखी नदी के तल में मौजूद एक चट्टान से एक नमूना लिया है। वैज्ञानिकों ने इस चट्टान को "चीवा फॉल्स" नाम दिया है। इस चट्टान में "तेंदुए के धब्बे" (leopard spots) और "खसखस के बीज" (poppy seeds) जैसे छोटे, रंगीन धब्बे मिले हैं। जब रोवर के उपकरणों ने इन धब्बों का विश्लेषण किया, तो उन्होंने कार्बन, आयरन फॉस्फेट (विवियानाइट) और आयरन सल्फाइड (ग्रीगाइट) जैसे खनिजों के निशान पाए।
पृथ्वी पर, ये यौगिक और खनिज अक्सर वहां पाए जाते हैं जहां सूक्ष्मजीवों ने कार्बनिक पदार्थों को खाकर अपनी ऊर्जा बनाई हो। दूसरे शब्दों में, यह एक तरह का "बायोसिग्नेचर" या जीवन का संभावित रासायनिक हस्ताक्षर है।
वैज्ञानिकों की सावधानी और आगे की योजना
हालांकि यह एक रोमांचक खोज है, वैज्ञानिक अभी भी बहुत सतर्क हैं। उनका कहना है कि ये खनिज गैर-जैविक प्रक्रियाओं, जैसे उच्च तापमान या रासायनिक प्रतिक्रियाओं, से भी बन सकते हैं। इसलिए, इस बात की पुष्टि करने के लिए और अधिक गहन विश्लेषण की आवश्यकता होगी कि क्या ये निशान वास्तव में प्राचीन जीवन के हैं।
नासा ने इस नमूने सहित कई नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाने की एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इन नमूनों का पृथ्वी की प्रयोगशालाओं में गहराई से अध्ययन किया जाएगा, जो हमें यह बताने में मदद करेगा कि क्या मंगल ग्रह पर कभी जीवन था। यह मिशन, हालांकि अभी अनिश्चित है, मानवता को हमारे ब्रह्मांड में हमारे अकेलेपन के सबसे मौलिक सवाल का जवाब दे सकता है।