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रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छिपा 'साइलेंट किलर': हाई ब्लड शुगर के लक्षण, कारण और बचाव, आप भी जानें

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Posted On:Tuesday, September 9, 2025

मुंबई, 9 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में, जहां तनाव और अनियमित खान-पान आम बात है, एक बीमारी चुपके से हमारे शरीर को कमजोर कर रही है - हाई ब्लड शुगर यानी मधुमेह। इसे अक्सर "साइलेंट किलर" कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग अक्सर इन्हें थकान या तनाव समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यदि समय रहते इन संकेतों को पहचान लिया जाए, तो इस गंभीर समस्या से निपटा जा सकता है।

क्या हैं हाई ब्लड शुगर के चेतावनी भरे संकेत?

विशेषज्ञों का कहना है कि हमारा शरीर ब्लड शुगर बढ़ने पर कई तरह से हमें चेतावनी देता है। इन संकेतों को समझना बेहद ज़रूरी है:

अत्यधिक प्यास और बार-बार पेशाब आना: यह सबसे आम और शुरुआती लक्षण है। जब खून में शुगर का स्तर बहुत बढ़ जाता है, तो शरीर इसे पेशाब के जरिए बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिससे बार-बार प्यास लगती है।

अचानक थकान और कमजोरी: शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की ज़रूरत होती है। लेकिन जब इंसुलिन सही से काम नहीं करता, तो ग्लूकोज कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता, जिससे दिन भर थकान और कमजोरी महसूस होती है।

बिना वजह वजन का घटना या बढ़ना: शरीर में इंसुलिन की कमी होने पर, शरीर ऊर्जा के लिए फैट और मांसपेशियों को जलाना शुरू कर देता है, जिससे वजन तेजी से कम होता है। वहीं, कुछ मामलों में हार्मोनल असंतुलन के कारण वजन बढ़ भी सकता है।

आंखों में धुंधलापन: बढ़ा हुआ शुगर स्तर आंखों की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दृष्टि कमजोर होने लगती है। यह डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है।

घावों का देर से भरना और बार-बार संक्रमण: हाई ब्लड शुगर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। इसलिए, छोटे-मोटे घाव, चोटें या संक्रमण ठीक होने में बहुत समय लेते हैं, और त्वचा पर बार-बार फंगल इंफेक्शन हो सकते हैं।

हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन (न्यूरोपैथी): लंबे समय तक हाई शुगर रहने से नसों को भी नुकसान पहुंचता है, जिसे डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। इसमें हाथ-पैरों में सुन्नपन, झुनझुनी या जलन महसूस हो सकती है।

बचाव और नियंत्रण के उपाय

अच्छी खबर यह है कि हाई ब्लड शुगर को जीवनशैली में कुछ बदलावों से नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञ इसके लिए ये सुझाव देते हैं:

  • संतुलित और पौष्टिक आहार: अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे साबुत अनाज, हरी सब्जियां, और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल (जामुन, सेब, अमरूद) शामिल करें। मीठे पेय, प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड से दूरी बनाना सबसे ज़रूरी है।
  • नियमित व्यायाम: रोज़ाना कम से कम 30 मिनट की वॉक, योग या हल्की-फुल्की एक्सरसाइज ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद करती है।
  • तनाव प्रबंधन: तनाव शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन को बढ़ाता है, जो ब्लड शुगर को प्रभावित करता है। मेडिटेशन, योग और पर्याप्त नींद से तनाव को कम किया जा सकता है।
  • नियमित जांच: समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच (HbA1c, फास्टिंग और पोस्ट-प्रांडियल) करवाना महत्वपूर्ण है, ताकि स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सके।
याद रखें, जागरूकता और समय पर की गई कार्रवाई से इस 'साइलेंट किलर' को हराया जा सकता है और एक स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।


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