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भारत की 7 सबसे बड़ी मकड़ी प्रजातियाँ: टारंटुला से लेकर विशाल हंट्समैन तक, जानिए इनकी ख़ासियत

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Posted On:Saturday, October 25, 2025

मुंबई, 25 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) मकड़ियाँ (Spiders), जो जीवों के सबसे बड़े समूहों में से एक हैं, भारत के विविध और विशाल पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) का एक अभिन्न अंग हैं। जहाँ अधिकांश मकड़ियाँ छोटी और साधारण होती हैं, वहीं भारत के घने जंगलों, पहाड़ों और घरों के आस-पास कुछ ऐसी विशालकाय और आकर्षक प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जो अपने आकार और रंग-रूप से हैरान कर देती हैं।

ये बड़ी मकड़ियाँ, जिनमें से कई टारंटुला परिवार से संबंधित हैं, न केवल अपने आस-पास के कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि जैव विविधता के मानचित्र पर भारत की समृद्ध स्थिति को भी दर्शाती हैं।

यहां भारत में पाई जाने वाली सात सबसे बड़ी और उल्लेखनीय मकड़ी प्रजातियों का विवरण दिया गया है:

1. इंडियन ऑर्नामेंटल टारंटुला (Indian Ornamental Tarantula)

विशेषता: यह एक वृक्ष-निवासी टारंटुला है जो अपनी चमकीली नीली या धूसर रंगत और जटिल ज्यामितीय पैटर्न के लिए जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Poecilotheria regalis है, और यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत के जंगलों में पाई जाती है।

आकार: यह एक बड़ी मकड़ी है, जिसके पैरों का फैलाव 17 से 20 सेंटीमीटर तक हो सकता है।

व्यवहार: यह एक संरक्षित प्रजाति है जो पेड़ के तने या दरारों में रहती है और रात में शिकार करती है। हालांकि इसका जहर इंसानों के लिए कष्टदायक हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर आक्रामक नहीं होती, जब तक इसे उकसाया न जाए।

2. जायंट वुड स्पाइडर (Giant Wood Spider) या नेफिला (Nephila)

विशेषता: इसे नेफिला पिलीप्स (Nephila pilipes) के नाम से भी जाना जाता है और यह अपने विशाल सुनहरे जालों के लिए प्रसिद्ध है, जो स्टील के तार जितने मजबूत हो सकते हैं।

आकार: इस प्रजाति की मादाएँ नर से काफी बड़ी होती हैं, और इनका शरीर और पैरों का फैलाव कई सेंटीमीटर तक हो सकता है।

व्यवहार: यह अक्सर बगीचों और जंगलों में पाए जाते हैं और मुख्य रूप से बड़े कीड़ों का शिकार करती हैं। इनके जाले सूरज की रोशनी में चमकते हैं।

3. हंट्समैन स्पाइडर (Huntsman Spider) 🏃‍♀️

विशेषता: इसे विशाल केकड़ा मकड़ी भी कहा जाता है क्योंकि इसके पैर एक केकड़े की तरह फैले हुए होते हैं। यह जाला बुनने के बजाय तेज़ी से शिकार करने के लिए जानी जाती है।

आकार: यह बड़ी और तेज गति वाली मकड़ी होती है, जिसके पैरों का फैलाव 15 सेंटीमीटर तक पहुंच सकता है।

व्यवहार: ये अक्सर घरों, लकड़ी के ढेर और कारों के अंदर भी पाई जाती हैं, खासकर दक्षिण भारत में। ये छिपकली, कॉकरोच और अन्य कीड़ों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं, और मनुष्यों को शायद ही कभी काटती हैं।

4. वुल्फ स्पाइडर (Wolf Spider)

विशेषता: ये सक्रिय शिकारी होते हैं और इनका नाम भेड़ियों (Wolf) के नाम पर इसलिए पड़ा क्योंकि ये अपने शिकार का पीछा करके उसे पकड़ते हैं।

आकार: इस परिवार की कई प्रजातियाँ हैं, और कुछ 2 इंच तक लंबी हो सकती हैं।

व्यवहार: ये जमीन पर शिकार करती हैं और जाले नहीं बनातीं। मादा वुल्फ स्पाइडर अपने अंडे के थैले को अपनी पीठ पर ढोती हैं, और बच्चे निकलने के बाद भी कुछ समय तक उन्हें अपनी पीठ पर लेकर घूमती हैं।

5. गूंटी सैफ़ायर टारंटुला (Gooty Sapphire Tarantula)

विशेषता: यह भारत की सबसे खूबसूरत मकड़ियों में से एक है, जो अपनी धात्विक नीली रंगत के लिए जानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Poecilotheria metallica है।

आकार: यह एक मध्यम से बड़ी आकार की प्रजाति है जो लगभग 15 से 20 सेंटीमीटर के पैरों के फैलाव तक बढ़ सकती है।

महत्व: यह आंध्र प्रदेश की स्थानिक (Endemic) प्रजाति है और पालतू व्यापार (pet trade) तथा आवास हानि के कारण यह लुप्तप्राय की श्रेणी में आ गई है।

6. सिग्नेचर स्पाइडर (Signature Spider) 🕸️

विशेषता: इसका वैज्ञानिक नाम Argiope है। यह मकड़ी अपने जाले के बीच में एक विशिष्ट ज़िग-ज़ैग (zigzag) पैटर्न बनाने के लिए जानी जाती है, जिसे स्टैबिलिमेंटम (stabilimentum) कहा जाता है।

आकार: यह बड़ी नहीं होती, लेकिन अपने आकर्षक रंग और बड़े जाले के कारण ध्यान आकर्षित करती है।

व्यवहार: यह खेतों और बगीचों में कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करती है, इसलिए इसे एक प्राकृतिक कीटनाशक माना जाता है।

7. क्रैब स्पाइडर (Crab Spider)

विशेषता: ये गिरगिट की तरह रंग बदलने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं और फूलों में छिपकर शिकार करती हैं।

आकार: ये आमतौर पर छोटी होती हैं, लेकिन अपनी चौड़ी और सपाट काया के कारण बड़ी दिखती हैं, जो इन्हें एक केकड़े जैसा रूप देती है।

व्यवहार: ये भेष बदलने में माहिर होती हैं और फूलों पर आने वाली मधुमक्खियों और तितलियों को घात लगाकर पकड़ती हैं।

ये बड़ी मकड़ियाँ भले ही डरावनी लगें, लेकिन ये हमारे पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं और आमतौर पर मनुष्यों से दूर ही रहना पसंद करती हैं।


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