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बीएमसी चुनाव में महायुति में दरार, अठावले की RPI ने 39 उम्मीदवार उतारे, सीट बंटवारे को बताया विश्वासघात

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Posted On:Tuesday, December 30, 2025

मुंबई की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर महायुति के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने बीएमसी चुनाव के लिए 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस कदम को महायुति के भीतर बढ़ती नाराजगी और असंतोष के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले अठावले ने भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच हुए सीट बंटवारे पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

दरअसल, बीएमसी चुनाव के लिए भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सीट बंटवारे का समझौता हो चुका है। इस समझौते के तहत भाजपा 137 और शिवसेना 90 वार्डों पर चुनाव लड़ेगी। बीएमसी में कुल 227 वार्ड हैं। लेकिन इस पूरे फार्मूले में आरपीआई (अठावले) को कोई भी सीट नहीं दी गई, जिससे अठावले खासे नाराज हैं।

“हमारे स्वाभिमान पर हमला है” – रामदास अठावले

सीट बंटवारे से बाहर रखे जाने पर रामदास अठावले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। उन्होंने लिखा कि महायुति के गठन के बाद से उनकी पार्टी पूरी निष्ठा और मजबूती के साथ गठबंधन के साथ खड़ी रही है, लेकिन बीएमसी चुनाव में जो हुआ, वह साफ तौर पर विश्वासघात है। अठावले ने आरोप लगाया कि गठबंधन सहयोगियों ने न सिर्फ आरपीआई को नजरअंदाज किया, बल्कि सम्मानजनक बातचीत तक नहीं की।

अठावले के मुताबिक, सोमवार को शाम चार बजे सीट बंटवारे को लेकर चर्चा के लिए बैठक तय थी, लेकिन गठबंधन सहयोगी उस बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि उनकी पार्टी और कार्यकर्ताओं के स्वाभिमान पर सीधा हमला है। अठावले ने यह भी कहा कि दलित समाज और आरपीआई के कार्यकर्ताओं को इस तरह अपमानित करना वह बर्दाश्त नहीं करेंगे।

“अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगा” – अठावले का सख्त रुख

रामदास अठावले ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुंबई निकाय चुनाव बेहद नजदीक हैं और वह अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के अपमान को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। इसी के चलते आरपीआई (अठावले) ने 39 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है और संकेत दे दिए हैं कि पार्टी मजबूती से चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, आरपीआई कुल 50 सीटों पर नामांकन दाखिल करने की तैयारी कर रही है। हालांकि सूत्रों ने यह भी कहा कि नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख तक स्थिति बदल सकती है। अगर गठबंधन के भीतर सम्मानजनक बातचीत होती है और कोई समाधान निकलता है, तो पार्टी आगे की रणनीति पर विचार कर सकती है। लेकिन फिलहाल आरपीआई अकेले दम पर चुनाव लड़ने के मूड में दिखाई दे रही है।

महायुति में बढ़ती दरार

बीएमसी चुनाव में महायुति की एकजुटता पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि आरपीआई ही नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी अलग रास्ता अपना रही है। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने भी साफ कर दिया है कि वह बीएमसी चुनाव अलग लड़ेगी। ऐसे में भाजपा और शिवसेना के बीच तो समझौता हो गया है, लेकिन गठबंधन के अन्य सहयोगी खुद को हाशिये पर महसूस कर रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीएमसी जैसे बड़े और प्रतिष्ठित निकाय चुनाव में गठबंधन के भीतर इस तरह की दरारें चुनावी गणित को प्रभावित कर सकती हैं। खासकर मुंबई जैसे शहर में, जहां जातीय, सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।

बीएमसी चुनाव पर असर तय

आरपीआई (अठावले) का अलग होकर उम्मीदवार उतारना और एनसीपी का भी अलग लड़ना महायुति के लिए चुनौती बन सकता है। इससे वोटों का बंटवारा होने की आशंका है, जिसका सीधा फायदा विपक्षी दलों को मिल सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महायुति के घटक दल किसी समझौते पर पहुंचते हैं या फिर बीएमसी चुनाव कई मोर्चों पर बिखरे हुए मुकाबले के गवाह बनेंगे।


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