बॉलीवुड के सदाबहार ही-मैन धर्मेंद्र के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है, लेकिन श्रद्धांजलियों की भीड़ में प्रियंका चोपड़ा का संदेश सबसेअलग खड़ा नज़र आया—यह सिर्फ़ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक भावुक थैंक-यू लेटर था, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सिनेमा की विरासत कोजोड़ता हुआ महसूस हुआ।
प्रियंका ने अपने पोस्ट में 2001 के शुरुआती दिनों को याद किया, जब वह बरेली की नई-नवेली लड़की थीं, जो फिल्मों की दुनिया में एकदम अकेलीथीं। कोई पहचान नहीं, कोई सपोर्ट नहीं—लेकिन एक परिवार ऐसा था जिसने उन्हें खुले दिल से अपनाया: देओल परिवार। उनका पहला साइनिंगअमाउंट विजयता फिल्म्स से आया था, और उनकी शुरुआती हिंदी फिल्में भी धरमजी की छत्रछाया में शुरू हुई थीं।
उन्होंने लिखा कि देओल परिवार ने उन्हें उस दौर में अपनापन दिया जब वह सिर्फ़ उम्मीदों का एक छोटा-सा पिटारा थीं। प्रियंका की लाइन—“कुछलोग फिल्में छोड़ जाते हैं, कुछ फीलिंग्स। वह हमें दोनों ही दे गए हैं।”—सिर्फ़ एक वाक्य नहीं, बल्कि धर्मेंद्र की पूरी विरासत का सार है।
अपने लंबे इमोशनल नोट में प्रियंका ने धरमजी की मैग्नेटिक मौजूदगी, उनकी चार्म, और उनकी उदारता को याद किया। उन्होंने उन्हें एक ऐसे फिल्मीहीरो के रूप में देखा जो सिर्फ़ पर्दे पर नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे भी उतना ही बड़ा दिल रखते थे। वह लिखती हैं कि कैसे धरमजी जैसे उदाहरणों ने छोटेशहरों से बड़े सपने लेकर आने वाली पीढ़ियों को हिम्मत दी।
पोस्ट के अंत में प्रियंका का संदेश—“रेस्ट इन पैराडाइज, धरमजी। पूरे देओल परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएँ।”—एक बेटी जैसी श्रद्धांजलि लगती है, जो अपने पहले गुरुओं में से एक को विदाई दे रही है।
प्रियंका का यह ट्रिब्यूट याद दिलाता है कि धर्मेंद्र सिर्फ़ एक सुपरस्टार नहीं थे; वह एक भावना थे—एक ऐसी गर्माहट, एक ऐसा अपनापन, जो आज भीउन लोगों में जीवित है जिन्हें उन्होंने छुआ, समर्थन दिया और आगे बढ़ाया। इसीलिए उनकी विरासत सिर्फ़ सिनेमा में नहीं, लोगों के दिलों में भी हमेशाबनी रहेगी।