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क्या है जनविश्वास बिल 2.0? जिसमें व्यापार से जुड़े 350 छोटे अपराधों में अब नहीं मिलेगी सजा, आज लोकसभा में होगा पेश

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Posted On:Wednesday, August 20, 2025

18 अगस्त 2025 को लोकसभा का सत्र देश के लाखों व्यापारियों और उद्योग जगत के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित हो सकता है। इस दिन वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा ‘जनविश्वास (संशोधन) 2.0 बिल’ लोकसभा में पेश किया जाएगा, जिसमें 350 से अधिक नियमों में संशोधन का प्रस्ताव है। इस बिल का उद्देश्य व्यापार को अधिक अनुकूल, सरल और सहज बनाना है। इससे पहले वर्ष 2023 में केंद्र सरकार ने पहले चरण में 183 छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर व्यापार जगत को राहत दी थी। अब दूसरे चरण में यह पहल और व्यापक रूप लेने जा रही है।


क्या है जनविश्वास (संशोधन) 2.0 बिल?

जनविश्वास (संशोधन) 2.0 बिल का मुख्य उद्देश्य ‘Ease of Doing Business’ यानी व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना है। इसके तहत 350 नियमों में से ऐसे अपराध, जो सामान्य या तकनीकी त्रुटियों से जुड़े होते हैं, उनमें से सजा का प्रावधान समाप्त कर दिया जाएगा।

इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यापारी अनजाने में या तकनीकी कारणों से किसी नियम का उल्लंघन करता है, तो उसे जेल या सजा नहीं होगी। हालांकि, ऐसे कृत्य अब भी गैरकानूनी (illegal) रहेंगे, लेकिन उनके लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। कुछ मामलों में जुर्माना बने रहने की संभावना है।


व्यापारियों को कैसे होगा फायदा?

इस बिल के पास हो जाने पर व्यापारियों को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं:

  1. भयमुक्त व्यापार: छोटे-मोटे नियम उल्लंघन पर अब जेल जाने का डर नहीं रहेगा। इससे उद्यमियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।

  2. प्रशासनिक भ्रष्टाचार में कमी: जब सजा का डर खत्म होगा, तो सरकारी अधिकारियों द्वारा की जाने वाली जबरन वसूली या रिश्वतखोरी पर भी अंकुश लगेगा।

  3. नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा: युवा उद्यमी बिना जटिल कानूनी डर के अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगे।

  4. समय और संसाधनों की बचत: व्यापारियों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, जिससे वे अपने काम पर अधिक ध्यान दे सकेंगे।


केवल सजा खत्म, अपराध फिर भी गैरकानूनी

बिल की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह केवल सजा खत्म करने की बात करता है। इसका यह मतलब नहीं है कि वो कृत्य अब वैध हो गए हैं। अगर कोई व्यापारी नियमों का उल्लंघन करता है, तो वह अभी भी अवैध माना जाएगा, परंतु उस पर कोई जेल या सजा नहीं दी जाएगी। कुछ मामलों में केवल आर्थिक दंड (जुर्माना) लगाने का प्रावधान रहेगा।


2023 में पहले चरण में हो चुके हैं बदलाव

जनविश्वास बिल का पहला संस्करण 2023 में संसद द्वारा पास किया गया था। उस समय सरकार ने 19 मंत्रालयों और विभागों के तहत 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों से सजा समाप्त कर दी थी। इसका सकारात्मक असर व्यापारिक माहौल पर देखा गया। यह नया कदम उसी सुधार की अगली कड़ी है, जिसे अब और ज्यादा गहराई और व्यापकता के साथ लागू किया जा रहा है।


प्रधानमंत्री मोदी ने किया था जिक्र

15 अगस्त 2025 को लाल किले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि भारत में अब भी कई ऐसे पुराने और अप्रासंगिक कानून मौजूद हैं, जो साधारण गलतियों पर भी कठोर सजा का प्रावधान रखते हैं। पीएम मोदी ने कहा था, "हमें ऐसे कानूनों से मुक्ति पानी होगी जो आम नागरिकों को जेल भेजते हैं।" इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए सरकार ‘Next Generation Reforms’ की दिशा में इस बिल को लेकर आई है।


व्यापार और निवेश के लिए बनेगा सकारात्मक माहौल

इस बिल के माध्यम से सरकार भारत में व्यापार के लिए अधिक सकारात्मक माहौल बनाना चाहती है। इससे न केवल देशी निवेशकों को भरोसा मिलेगा, बल्कि विदेशी निवेशक भी भारत को व्यापारिक दृष्टि से सुरक्षित और आकर्षक गंतव्य मानेंगे।


कौन से क्षेत्र होंगे सबसे अधिक लाभान्वित?

हालांकि अभी विस्तृत सूची संसद में बिल के प्रस्तुत होने पर ही सामने आएगी, लेकिन माना जा रहा है कि निम्नलिखित क्षेत्रों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा:

  • छोटे और मध्यम उद्योग (MSME)

  • निर्माण क्षेत्र

  • आयात-निर्यात से जुड़े व्यवसाय

  • स्टार्टअप्स

  • खुदरा व्यापारी


निष्कर्ष

जनविश्वास (संशोधन) 2.0 बिल भारत के व्यापारिक माहौल को सरल, सुलभ और उद्यमियों के लिए अनुकूल बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल व्यापारियों को राहत मिलेगी बल्कि सरकारी प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी। अगर यह बिल संसद में पारित हो जाता है, तो यह व्यापारिक क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत का संकेत होगा, जिसमें भरोसा, पारदर्शिता और विकास की भावना प्रमुख होगी


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