भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार चार सत्रों से गिरावट देखी जा रही है, जिससे निवेशकों की धारणा थोड़ी कमजोर हुई है। हालांकि, बाजार की इस सुस्ती के बीच ए-1 लिमिटेड (A-1 Ltd) जैसे मल्टीबैगर स्टॉक ने निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। कंपनी ने हाल ही में बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) की घोषणा की है, जिसके बाद इसके शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला।
बोनस इश्यू और स्टॉक स्प्लिट का डबल धमाका
कंपनी ने अपने शेयरधारकों के लिए बड़े तोहफे का ऐलान किया है। ए-1 लिमिटेड न केवल बोनस शेयर दे रही है, बल्कि अपने शेयरों का विभाजन भी करने जा रही है।
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3:1 बोनस शेयर: कंपनी ने 3:1 के अनुपात में बोनस शेयर देने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि रिकॉर्ड डेट तक शेयर रखने वाले निवेशकों को उनके हर 1 शेयर पर 3 अतिरिक्त शेयर मुफ्त मिलेंगे। इसकी रिकॉर्ड डेट 31 दिसंबर 2025 तय की गई है।
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10:1 स्टॉक स्प्लिट: लिक्विडिटी बढ़ाने और छोटे निवेशकों के लिए शेयर को किफायती बनाने के लिए कंपनी अपने 1 शेयर को 10 टुकड़ों में बांटेगी। इसके लिए रिकॉर्ड डेट 8 जनवरी 2026 निर्धारित की गई है।
इन दोनों फैसलों के बाद सोमवार को कंपनी के शेयर 5 फीसदी के ऊपरी सर्किट के साथ 1840.90 रुपये पर बंद हुए।
रिटर्न की रफ्तार: 5 साल में 31 गुना हुआ पैसा
ए-1 लिमिटेड का ट्रैक रिकॉर्ड निवेशकों के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं रहा है। कंपनी के शेयरों ने लंबी और छोटी अवधि, दोनों में छप्परफाड़ रिटर्न दिया है:
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5 साल का रिटर्न: पिछले पांच वर्षों में स्टॉक ने 3100% का ऐतिहासिक रिटर्न दिया है। यानी 5 साल पहले लगाया गया 1 लाख रुपया आज बढ़कर लगभग 32 लाख रुपये हो गया है।
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1 साल का रिटर्न: पिछले एक साल में कंपनी के शेयरों में 358.28% की तेजी आई है।
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6 महीने का प्रदर्शन: पिछले छह महीनों में ही निवेशकों ने 178.40% का मुनाफा कमाया है।
बीएसई (BSE) पर शेयर की स्थिति
सोमवार के कारोबारी सत्र में शेयर 1840.90 रुपये पर बंद हुआ। अगर हम इसके पिछले 52 हफ्तों के प्रदर्शन पर गौर करें, तो अंतर काफी बड़ा है:
वर्तमान भाव अपने निचले स्तर से लगभग 4.7 गुना ऊपर है, जो इसकी मजबूती को दर्शाता है।
निवेशकों के लिए क्या है इसके मायने?
आमतौर पर कंपनियां स्टॉक स्प्लिट और बोनस का सहारा तब लेती हैं जब शेयर की कीमत बहुत अधिक हो जाती है और छोटे निवेशकों के लिए उसमें निवेश करना मुश्किल होता है। स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर की फेस वैल्यू कम हो जाती है और बाजार में शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में इजाफा होता है।