बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के शीर्ष नेता तारिक रहमान ने क्रिसमस के दिन करीब 17 साल के खुद से चुने गए वनवास के बाद देश में शानदार वापसी की है। उनकी यह वापसी ऐसे समय में हुई है, जब बांग्लादेश गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। जुलाई में हुए हिंसक नागरिक विद्रोह के बाद शेख हसीना की अवामी लीग सरकार गिर चुकी है और खुद शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं। ऐसे में रहमान की वापसी को न केवल बीएनपी के लिए बल्कि पूरे बांग्लादेश की राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
ढाका लौटते ही तारिक रहमान का अभूतपूर्व स्वागत हुआ। लाखों समर्थक देश के अलग-अलग हिस्सों से लंबी दूरी तय कर राजधानी पहुंचे। कई लोग पूरी रात पैदल चलकर ढाका की सड़कों पर जमा हुए, पार्टी के झंडे लहराए और ‘राजकुमार’ के समर्थन में नारे लगाए। यह नजारा बीएनपी के लिए शक्ति प्रदर्शन से कम नहीं था। इसी जोश के बीच रहमान ने 12 फरवरी को होने वाले आम चुनाव के लिए बीएनपी के चुनावी अभियान का औपचारिक आगाज कर दिया।
अपने पहले बड़े संबोधन में रहमान ने कहा, “मेरे पास बांग्लादेश के लिए एक प्लान है।” उन्होंने खुद को और अपनी पार्टी को देश में लोकतंत्र की वापसी का प्रतीक बताते हुए जनता से समर्थन की अपील की। बीएनपी ने संकेत दे दिए हैं कि इस चुनाव में खालिदा जिया और तारिक रहमान दोनों चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। यदि पार्टी सत्ता में आती है, तो रहमान के अगले प्रधानमंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं।
हालांकि, तारिक रहमान का अतीत विवादों से भरा रहा है। उनके आलोचक दावा करते रहे हैं कि 2001 से 2006 के बीच, जब खालिदा जिया प्रधानमंत्री थीं और बीएनपी-जमात गठबंधन सत्ता में था, तब असल सत्ता की बागडोर रहमान के हाथों में थी। उन्हें उस दौर में ‘डार्क प्रिंस’ कहा जाने लगा था। बताया जाता है कि वह ढाका के कुख्यात ‘हवा भवन’ से शासन चलाते थे। आधिकारिक रूप से यह उनका कार्यालय था, लेकिन कई राजनयिकों और खुफिया एजेंसियों के अनुसार यह एक तरह का समानांतर प्रधानमंत्री कार्यालय था, जहां से बड़े फैसले लिए जाते थे।
बीएनपी-जमात सरकार के पतन के बाद हवा भवन को लेकर कई गंभीर आरोप सामने आए। मीडिया और खुफिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि 2004 में शेख हसीना पर हुए ग्रेनेड हमले की साजिश भी यहीं रची गई थी। इसके अलावा, यह भी आरोप लगे कि हवा भवन हथियार तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का केंद्र था, जो असम में सक्रिय ULFA जैसे उग्रवादी संगठनों को हथियार सप्लाई करता था। हालांकि बीएनपी ने हमेशा इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है।
2006 से 2008 के बीच बांग्लादेश की राजनीति में भारी अस्थिरता रही। चुनावों को लेकर अवामी लीग और बीएनपी के बीच टकराव बढ़ा, जिसके बाद एक सैन्य समर्थित केयरटेकर सरकार बनी। इसी दौरान मई 2007 में तारिक रहमान को भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में गिरफ्तार किया गया। उन्हें 17 महीने तक हिरासत में रखा गया। बीएनपी का आरोप रहा कि ये सभी मामले राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा थे। 2008 में उन्हें इलाज के बहाने लंदन जाने की अनुमति मिली और तभी से वह निर्वासन में थे।
अब, 17 साल बाद उनकी वापसी ऐसे वक्त में हुई है जब देश एक बार फिर बदलाव के दौर में खड़ा है। फरवरी 2026 में संभावित आम चुनावों में तारिक रहमान को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। बीएनपी ने खालिदा जिया की पारंपरिक सीट से नामांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि रहमान खुद भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
तारिक रहमान ने खुद को और अपनी पार्टी को ‘लोकतंत्र के चैंपियन’ के रूप में पेश करते हुए कहा है कि “सिर्फ लोकतंत्र ही हमें बचा सकता है।” अब देखना यह है कि क्या बांग्लादेश की जनता उन्हें एक बार फिर सत्ता सौंपती है या ‘डार्क प्रिंस’ का अतीत उनके भविष्य पर भारी पड़ता है।