बोगोटा: कोलंबिया के उत्तर-पूर्वी हिस्से में हुए एक हमले में दो पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी गई है। कोलंबिया सरकार ने इस हमले के लिए सीधे तौर पर मार्क्सवादी गुरिल्ला फोर्स नेशनल लिबरेशन आर्मी (ELN) को जिम्मेदार ठहराया है। यह संगठन 1960 के दशक से कोलंबिया में सक्रिय है और सरकार के साथ उसकी शांति वार्ताएं हाल ही में पटरी से उतर गई थीं।
राष्ट्रपति पेट्रो ने की निंदा, लड़ाकों को चेतावनी
कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इस हत्या की सख्त निंदा की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "कुकुटा (Cúcuta) में एक पुलिस अधीक्षक और उप अधीक्षक की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं।" राष्ट्रपति पेट्रो ने इस कृत्य को अस्वीकार्य बताते हुए कोलंबिया और वेनेजुएला की सीमा पर सक्रिय लड़ाकों को कड़ी चेतावनी भी दी है। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब उनकी सरकार देश में दशकों पुराने आंतरिक संघर्ष को समाप्त करने के लिए विभिन्न सशस्त्र समूहों के साथ शांति प्रक्रिया आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
दो आतंकी हमलों की पुष्टि
कोलंबियाई राष्ट्रीय पुलिस के निदेशक, जनरल विलियम ओस्पिना ने पुष्टि की कि नॉर्टे डे सैंटेंडर विभाग में दो अलग-अलग आतंकी हमले हुए हैं। पहले हमले में पुलिस अधिकारियों की जान चली गई, जबकि दूसरे हमले में दो अन्य सैनिक घायल हुए हैं। स्थानीय मीडिया में विस्फोट और उसके प्रभाव की तस्वीरें प्रमुखता से दिखाई जा रही हैं। शुरुआती जांच से पता चला है कि यह हमला ELN ने पुलिस की हालिया कड़ी कार्रवाई के जवाब में किया है। यह कार्रवाई पुलिस द्वारा गुरिल्ला समूहों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन का हिस्सा हो सकती है।
ELN के साथ शांति वार्ता बंद
ELN (जिसे स्पेनिश में Ejército de Liberación Nacional भी कहा जाता है) का गठन 1964 में हुआ था और यह कोलंबिया के सबसे पुराने और सक्रिय गुरिल्ला समूहों में से एक है। राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो की सरकार, जो कि देश में दशकों के संघर्ष को समाप्त करने के लिए प्रयासरत है, ELN के साथ शांति वार्ता कर रही थी। हालांकि, साल की शुरुआत में ELN द्वारा किए गए अन्य आतंकी हमलों के बाद यह बातचीत बीच में ही रुक गई थी।
पुलिस अधिकारियों की हालिया हत्या ने एक बार फिर शांति प्रक्रिया पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है, क्योंकि यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब सरकार वार्ता बहाल करने की कोशिशों में जुटी थी। इस हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोलंबिया में पूर्ण शांति स्थापित करने की राह अभी भी बेहद कठिन है। सरकार और सुरक्षा बलों की अब मुख्य चुनौती शांति वार्ता की संभावनाओं को जिंदा रखते हुए इन समूहों की हिंसा को नियंत्रित करना है।