अमेरिका ने भारत में अपने नए राजदूत के तौर पर सर्जियो गोर को नियुक्त किया है। यह नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों को और मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मंगलवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी।
संबंधों को मज़बूत करने का मिशन
राष्ट्रपति ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की विशेष ज़िम्मेदारी दी है। ट्रंप ने भरोसा जताया कि गोर दोनों देशों के संबंधों को मज़बूत करने में मददगार साबित होंगे। ट्रंप ने कहा कि सर्जियो भारत के साथ संबंध और भी मजबूत करेंगे, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भारत जैसे देश के साथ और मजबूती देखने को मिलेगी। सर्जियो गोर बुधवार को औपचारिक रूप से अपना कार्यभार संभालने वाले हैं।
सर्जियो गोर की उत्सुकता
अपनी नई जिम्मेदारी पर सर्जियो गोर ने भी आभार व्यक्त करते हुए अपनी उत्सुकता ज़ाहिर की। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, "भारत में नए अमेरिकी राजदूत बनने के लिए बहुत उत्सुक हूँ। धन्यवाद, डोनाल्ड ट्रंप, मैं इस जिम्मेदारी के लिए बहुत आभारी हूँ और आपने मुझ पर जो विश्वास दिखाया है, उसका सम्मान करता हूँ।"
कौन हैं सर्जियो गोर?
सर्जियो गोर का नाम अमेरिकी राजनीतिक गलियारों में जाना-पहचाना है। वह लंबे समय से रिपब्लिकन रणनीतिकार, फंडरेजर और डोनाल्ड ट्रंप के करीबी राजनीतिक साथी रहे हैं। उनकी पृष्ठभूमि और अनुभव उन्हें इस महत्वपूर्ण राजनयिक पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं।
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पिछली भूमिका: इस नियुक्ति से पहले, गोर ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रपति कार्मिक के निदेशक (Director of Presidential Personnel) के तौर पर काम कर चुके हैं।
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राजनीतिक करीबी: उनकी भूमिका राष्ट्रपति के कई बड़े कामों में खास रही है, जो राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी करीबी और विश्वास को दर्शाती है।
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विशिष्ट दूत: अगस्त के महीने में डोनाल्ड ट्रंप ने उनका नाम भारत में अमेरिकी राजदूत के साथ-साथ दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत के तौर पर भी प्रस्तावित किया था।
सर्जियो गोर की नियुक्ति को दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते और रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में देखा जा रहा है। ट्रंप ने पहले ही भारत के साथ टैरिफ घटाने और ट्रेड डील करने को लेकर बड़े बयान दिए हैं। अब सर्जियो गोर की कूटनीतिक कुशलता पर निर्भर करेगा कि वह इन लक्ष्यों को कितनी प्रभावी ढंग से ज़मीन पर उतार पाते हैं।