भारत और इंग्लैंड के बीच लीड्स में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में तीसरे दिन एक ऐसा मोड़ आया जिसने मुकाबले की दिशा ही बदल दी। भारतीय बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल, जिन्होंने पहले दिन शानदार बल्लेबाजी कर सभी को प्रभावित किया था, वही खिलाड़ी तीसरे दिन भारत की परेशानी की वजह बन गए। मैदान पर की गई फील्डिंग में गलतियों ने न सिर्फ भारतीय टीम की बढ़त को रोक दिया बल्कि इंग्लैंड को मुकाबले में वापसी का सुनहरा मौका दे दिया।
यशस्वी जायसवाल की तीन बड़ी गलतियां
तीसरे दिन का सबसे चर्चित और निराशाजनक पहलू रहा यशस्वी जायसवाल द्वारा छोड़े गए तीन कैच। ये कैच उस समय गिराए गए जब इंग्लैंड दबाव में था और भारतीय गेंदबाज लगातार अच्छी लाइन-लेंथ से बल्लेबाजों को परेशान कर रहे थे।
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बेन डकेट – जसप्रीत बुमराह की गेंद पर जब डकेट महज़ 15 रन पर थे, तब यशस्वी ने स्लिप में आसान कैच टपका दिया। डकेट ने इसके बाद 47 रन और जोड़कर भारत को खासा नुकसान पहुंचाया।
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ओली पोप – जब पोप 60 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे, तब एक और मौका यशस्वी के हाथों से छूट गया। पोप ने इस जीवनदान का पूरा लाभ उठाया और शानदार शतक जड़ दिया।
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हैरी ब्रूक – तीसरा कैच ब्रूक का था, जिन्हें यशस्वी ने 83 रन के स्कोर पर जीवनदान दिया। ब्रूक ने इसके बाद भी 16 महत्वपूर्ण रन जोड़े और भारत के लिए इंग्लैंड की पारी को और मजबूत बना दिया।
इन तीनों गिराए गए कैचों ने इंग्लैंड को लगभग 109 रन का अतिरिक्त स्कोर बनाने में मदद की। अगर यशस्वी ये मौके नहीं गंवाते, तो भारत के पास पहली पारी में बड़ी बढ़त का मौका था।
टीम इंडिया की फील्डिंग बनी बड़ी कमजोरी
केवल यशस्वी ही नहीं, टीम इंडिया की कुल फील्डिंग प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। मैदान पर मिसफील्डिंग, खराब थ्रो और कैच ड्रॉप जैसे दृश्य लगातार देखने को मिले। यह वही भारत है जो कुछ साल पहले तक अपनी फुर्तीली फील्डिंग के लिए जाना जाता था, लेकिन इंग्लैंड की सरजमीं पर यह पहलू बेहद कमजोर नजर आया।
क्रिकेट में एक पुरानी कहावत है – “कैच जीतो, मैच जीतो”, लेकिन भारतीय फील्डर्स ने इस मंत्र को जैसे नजरअंदाज कर दिया।
लीड्स में उजागर हुई टीम इंडिया की फील्डिंग कमजोरी
लीड्स टेस्ट भारतीय टीम के लिए सिर्फ एक मुकाबला नहीं, बल्कि एक चेतावनी बनकर सामने आया है। जिस टीम ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई है, उससे इस तरह की लचर फील्डिंग की उम्मीद नहीं थी। खासकर विदेशी पिचों पर, जहां रन बनाना चुनौतीपूर्ण होता है, वहां गेंदबाजों के लिए सपोर्टिंग फील्डिंग का होना बेहद जरूरी होता है।
जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और रविचंद्रन अश्विन जैसे अनुभवी गेंदबाजों ने लगातार मौके बनाए, लेकिन टीम के फील्डर्स उन्हें भुना नहीं सके।
क्या पड़ी इसकी कीमत?
भारत ने पहली पारी में अच्छा स्कोर खड़ा किया था और इंग्लैंड पर दबाव बनाना शुरू भी कर दिया था। लेकिन जैसे-जैसे कैच ड्रॉप होते गए, इंग्लैंड की बल्लेबाजी मजबूत होती गई और अंत में मेज़बान टीम पहली पारी में भारत के स्कोर के बेहद करीब पहुंच गई। यदि ये तीनों कैच पकड़े गए होते, तो भारत 100 से ज्यादा रनों की बढ़त ले सकता था और मुकाबला पूरी तरह भारत के पक्ष में जा सकता था।
यशस्वी के लिए यह सीख का मौका
यशस्वी जायसवाल एक होनहार बल्लेबाज हैं और पिछले कुछ महीनों में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में खुद को साबित भी किया है। लेकिन एक टेस्ट मैच केवल रन बनाने तक सीमित नहीं होता – फील्डिंग और मानसिक संतुलन भी उतना ही जरूरी होता है। तीसरे दिन की घटना यशस्वी के लिए एक कड़वी लेकिन जरूरी सीख हो सकती है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक छोटी चूक भी मैच का रुख बदल सकती है।
निष्कर्ष: सुधार जरूरी है, वरना नुकसान तय है
लीड्स टेस्ट के तीसरे दिन भारत के लिए एक बड़ा सबक लेकर आया। यशस्वी जायसवाल के कैच छोड़ने की त्रुटियां और बाकी फील्डर्स की गलतियां साबित करती हैं कि भारत को यदि इंग्लैंड में सफल होना है, तो फील्डिंग स्टैंडर्ड को बेहतर करना ही होगा।
टेस्ट क्रिकेट केवल स्कोर बोर्ड की कहानी नहीं होती – यह धैर्य, एकाग्रता और अवसरों को भुनाने का खेल है। भारत के पास अब भी समय है कि वह इस कमजोरी को सुधारकर अगली पारियों में दमदार वापसी करे, वरना एक अच्छी शुरुआत भी हार में बदल सकती है।