मुंबई, 14 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान ने भारत के BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ को छोड़ दिया है। कॉन्स्टेबल पूर्णम अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत लौट आए। उन्हें 20 दिनों के बाद DGMO लेवल पर बातचीत के बाद छोड़ा गया है। उन्हें मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया है। पूछताछ के बाद उन्हें घर जाने दिया जाएगा। BSF ने प्रेस रिलीज के जरिए कॉन्स्टेबल पूर्णम के भारत लौटने की जानकारी दी है। इसमें बताया कि पूर्णम शॉ 23 अप्रैल को फिरोजपुर सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान गलती से पाकिस्तान चले गए थे। इसके बाद उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था।
BSF जवान के देश लौटने के बाद उनकी पत्नी रजनी शॉ ने कहा, मेरे पति 20 दिन देश में नहीं थे, पाकिस्तान ने अरेस्ट किया था। आज बहुत खुशी हुई। सुबह ही हेड ऑफिस से CO साहब का फोन आया था। उन्होंने कहा था कि PK साहब इंडिया आ गए हैं। वह बिल्कुल सही-सलामत हैं। आप टेंशन मत लीजिए। मेरे पति ने भी मुझे वीडियो कॉल किया था। वह फिजिकली बिल्कुल फिट हैं। उन्होंने कहा था कि वह फ्री होकर फोन करेंगे। हालांकि घर कब तक आएंगे, यह नहीं पता। 3-4 दिन पहले मेरी CM (ममता बनर्जी) से भी बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि आपके पति जल्द घर आ जाएंगे, क्योंकि वह भी BSF के अधिकारियों से लगातार बात कर रही थीं। सभी का सपोर्ट रहा। पूरा देश मेरे लिए खड़ा था। मैं सभी का धन्यवाद करती हूं। रजनी ने कहा, मोदी जी (PM नरेंद्र मोदी) हैं तो सब मुमकिन है। 22 अप्रैल को पहलगाम में अटैक हुआ तो उन्होंने 15-16 दिन के भीतर ही ऑपरेशन सिंदूर चलाकर उन सभी का बदला लिया, जिनके सुहाग आतंकियों ने उजाड़े। उसके 3-4 दिन बाद ही उन्होंने मेरा सुहाग वापस कर दिया। उन्हें मैं धन्यवाद देना चाहती हूं।
दरअसल, श्रीनगर से आई BSF की 24वीं बटालियन फिरोजपुर के ममदोट सेक्टर में तैनात हुई थी। 23 अप्रैल की सुबह किसान अपनी कंबाइन मशीन लेकर खेत में गेहूं काटने गए थे। यह खेत भारत-पाक बॉर्डर पर फेंसिंग पर लगे गेट नंबर-208/1 के पास जीरो लाइन पर था। किसानों की निगरानी के लिए BSF के 2 जवान भी उनके साथ थे। इसी समय जवान पीके शॉ की तबीयत बिगड़ गई। वह पेड़ के नीचे बैठने के लिए चले गए। पेड़ बॉर्डर पार था। तभी पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें घेरकर पकड़ लिया और उनके हथियार भी छीन लिए। जैसे ही BSF के बड़े अफसरों को जवान पीके शॉ के पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा पकड़े जाने की खबर मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंचे और पाकिस्तान रेंजर्स से बातचीत शुरू की। उन्हें बताया गया है कि यह जवान कुछ दिन पहले ट्रांसफर होकर आया था। उसे जीरो लाइन का पता नहीं था। वह गलती से जीरो लाइन क्रॉस कर गया था। उसे रिहा करने के लिए कहा गया, मगर पाकिस्तानी रेंजर्स ने इनकार कर दिया। जवान पीके शॉ की रिहाई के लिए भारत की ओर से लगातार फ्लैग मीटिंग के जरिए कोशिश की गई। इसे लेकर 2 से 3 फ्लैग मीटिंग भी हुईं, लेकिन जवान की रिहाई की बात नहीं बनी। तब BSF के डायरेक्टर जनरल (DG) दलजीत सिंह चौधरी ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से इस बारे में बातचीत की, लेकिन बात नहीं बन पाई।