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संजौली मस्जिद विवाद और गहरा—शिमला में बढ़ा तनाव, 3 दिन से अनशन पर बैठे लोग

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Posted On:Friday, November 21, 2025

शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद अब और अधिक तीखा हो गया है। विवादित मस्जिद में नमाज पढ़े जाने के विरोध में शुक्रवार को जोरदार प्रदर्शन हुआ। हिंदू संघर्ष समिति ने मस्जिद का बिजली और पानी का कनेक्शन तुरंत काटने की मांग करते हुए शहर प्रशासन पर दबाव बढ़ाया है। समिति ने यह भी मांग की है कि उन लोगों के खिलाफ दर्ज FIR को वापस लिया जाए, जो पिछले हफ्ते मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंचे मुस्लिमों का रास्ता रोकने के आरोप में दर्ज की गई थी।

हिंदू संघर्ष समिति के सदस्य लगातार तीसरे दिन आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी मुख्य मांग है कि जिस मस्जिद को नगर निगम और कोर्ट ने अवैध घोषित किया है, उसके ढांचे को पूरी तरह गिरा दिया जाए। समिति ने कहा है कि अवैध ढांचे पर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए, इसलिए नमाज पढ़ने पर भी रोक लगाई जाए। लगातार बढ़ते तनाव और विरोध को देखते हुए मस्जिद के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

क्या है संजौली मस्जिद विवाद?

संजौली की पांच मंजिला मस्जिद को लेकर विवाद साल 2024 से जारी है। विवाद की शुरुआत 31 अगस्त 2024 को तब हुई, जब शिमला के मल्याणा गांव में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई। एक आपराधिक मामले का आरोपी मस्जिद में घुस गया था, जिसे पकड़ने के उद्देश्य से हिंदू पक्ष के लोग मस्जिद की ओर गए, लेकिन वहां मौजूद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया। इसी दौरान दोनों पक्षों में तीखी झड़प हुई और तनाव बढ़ गया। हिंदू संगठनों—विशेषकर देवभूमि संघर्ष समिति—ने आरोप लगाया कि यह मस्जिद अवैध है और इसके निर्माण को लेकर कोई रिकॉर्ड नगर निगम या राजस्व विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। उन्होंने दावा किया कि 1997-98 और 2002-03 के जमाबंदी रिकॉर्ड में मस्जिद का कोई उल्लेख नहीं मिलता।

हालाँकि, यह मस्जिद 1947 से पहले की पुरानी संरचना पर आधारित बताई जाती है, लेकिन इसकी नई इमारत का निर्माण वर्ष 2010 में किया गया था। वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण के बारे में जानकारी होने से इनकार किया, जिससे विवाद और भड़क गया। नगर निगम ने दावा किया कि उसने अब तक 35 बार मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने का आदेश जारी किया है। इसी मुद्दे पर पूरे हिमाचल प्रदेश में प्रदर्शन हुए। संजौली में प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया, जिसके बाद 11 सितंबर 2024 को विरोध और उग्र हो गया।

ऊपरी तीन मंजिलें ढहाई गईं, फिर भी विवाद जारी

विवाद बढ़ने पर मामला कोर्ट पहुंचा। अक्टूबर 2024 में शिमला नगर निगम आयुक्त की कोर्ट ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध करार देकर गिराने का आदेश दिया। वक्फ बोर्ड ने भी इस फैसले को मंजूरी दी थी और दो महीने में ढांचा गिराने को कहा गया, लेकिन फंड की कमी के कारण काम शुरू नहीं हो पाया। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को जिला अदालत में चुनौती दी, लेकिन नवंबर 2024 में अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। बाद में मामला हाई कोर्ट गया, जिसने 8 सप्ताह के भीतर विवाद निपटाने का निर्देश दिया।

मार्च 2025 में मस्जिद में तोड़फोड़ फिर शुरू हुई और मजदूरों ने छत का हिस्सा गिरा दिया। लेकिन मस्जिद कमेटी ने एक महीने का समय मांगा, जिससे कार्रवाई फिर धीमी पड़ गई। फिर मई 2025 में नगर निगम आयुक्त की कोर्ट ने पूरी मस्जिद को ही अवैध घोषित कर दिया और आदेश दिया कि पूरी संरचना को ध्वस्त किया जाए। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को जिला अदालत में चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने स्टे देने से इनकार कर दिया। इसके बाद मुस्लिमों ने मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ी, जिस पर हिंदू संगठनों ने मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ कर विरोध जताया। नमाज पढ़ने जा रहे लोगों का रास्ता रोके जाने पर पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया।

वर्तमान स्थिति—विवाद का कोई अंत नजर नहीं

अब जब एक बार फिर नमाज और अवैध निर्माण के मुद्दे पर टकराव बढ़ा है, हिंदू संघर्ष समिति आमरण अनशन पर बैठकर मस्जिद का पूरा ढांचा गिराने और सभी सुविधाएँ बंद करने की मांग कर रही है। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष कानूनी उपायों के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रशासन की सख्ती और पुलिस की तैनाती के बावजूद इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है। इस पूरे विवाद ने शिमला जैसे शांत शहर में सांप्रदायिक तनाव की नई चुनौती खड़ी कर दी है, जिसका समाधान कानून और संवाद दोनों के संतुलन से ही संभव है।


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