जापान की अर्थव्यवस्था में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक मोड़ आया जब वहां के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ जापान (BoJ), ने ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी का ऐलान किया। यह वृद्धि पिछले 30 वर्षों में सबसे अधिक है, जो संकेत देती है कि जापान अब अपनी दशकों पुरानी 'सस्ती मुद्रा' और 'अल्ट्रा-लो इंटरेस्ट रेट' की नीति को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है।
ब्याज दरों में बदलाव और वर्तमान स्थिति
बैंक ऑफ जापान ने शॉर्ट-टर्म ब्याज दरों को 0.5% से बढ़ाकर 0.75% कर दिया है।
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ऐतिहासिक महत्व: ब्याज दरें अब 1995 के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं।
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सर्वसम्मति: यह फैसला बैंक के बोर्ड सदस्यों की सर्वसम्मति से लिया गया, जो दर्शाता है कि नीति निर्माता अब आर्थिक बदलाव को लेकर एकमत हैं।
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न्यूट्रल रेट की ओर: यह बढ़ोतरी अब उस स्तर (0.75%) के करीब है जिसे बैंक 1% से 2.5% के बीच "न्यूट्रल" मानता है।
क्यों उठाया गया यह सख्त कदम?
जापान लंबे समय तक गिरती कीमतों (Deflation) और सुस्त अर्थव्यवस्था से जूझता रहा है। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं:
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महंगाई का दबाव: जापान में कोर महंगाई लगातार 4 साल से बैंक के 2% के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। नवंबर में यह 3.0% दर्ज की गई।
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येन की कमजोरी: जापानी मुद्रा 'येन' के मूल्य में गिरावट के कारण आयात (खासकर खाद्य सामग्री और ऊर्जा) महंगा हो गया है, जिससे आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ा है।
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मजदूरी में वृद्धि: बैंक का मानना है कि कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे महंगाई दर 2% के लक्ष्य पर स्थिर रह सकेगी।
गवर्नर काजुओ उएडा के सामने कठिन चुनौती
बैंक के गवर्नर काजुओ उएडा के लिए यह स्थिति किसी "दोधारी तलवार" पर चलने जैसी है। उनके सामने दो मुख्य चुनौतियां हैं:
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अर्थव्यवस्था की नाजुकता: जापान की आर्थिक रिकवरी अभी बहुत मजबूत नहीं है। यदि दरें बहुत तेजी से बढ़ाई गईं, तो विकास की रफ्तार रुक सकती है।
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मुद्रा का संतुलन: यदि वे दरों को लेकर नरम रुख अपनाते हैं, तो येन और कमजोर हो सकता है, जिससे आयातित महंगाई (Imported Inflation) बेकाबू हो जाएगी।
गवर्नर उएडा ने स्पष्ट किया है कि यदि आर्थिक और महंगाई के अनुमान सही रहते हैं, तो भविष्य में दरों में और बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वास्तविक ब्याज दरें अभी भी काफी कम हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिलता रहेगा।
बाजार और कारोबारियों का भरोसा
भले ही ब्याज दरें बढ़ रही हैं, लेकिन जापान के कॉर्पोरेट जगत में उत्साह देखा जा रहा है। हालिया सर्वे बताते हैं कि कारोबारियों का भरोसा पिछले चार साल में सबसे ऊंचे स्तर पर है। कई बड़ी कंपनियां अगले साल भी वेतन वृद्धि के पक्ष में हैं, जो इस बात का सबूत है कि जापानी अर्थव्यवस्था अब बाहरी झटकों को सहने के लिए तैयार हो रही है।
निष्कर्ष
जापान का यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। दशकों तक दुनिया को सस्ता कर्ज देने वाला जापान अब अपनी नीतियों को सामान्य (Normalise) कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बैंक ऑफ जापान 1% के मनोवैज्ञानिक स्तर को कब पार करता है और इसका असर वैश्विक निवेश प्रवाह पर क्या पड़ता है।