नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (Indigo) पर अब दोहरी जांच का खतरा मंडरा रहा है। एयरलाइन द्वारा बड़े पैमाने पर फ्लाइट्स रद्द किए जाने के बाद, भारतीय एंटीट्रस्ट रेगुलेटर कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) कथित तौर पर इंडिगो के खिलाफ जांच शुरू करने की तैयारी में है। CCI यह पता लगाएगा कि क्या इंडिगो ने बाजार में अपने प्रभुत्व (Market Dominance) का गलत इस्तेमाल किया है, खासकर उन नियमों को तोड़कर जो सर्विस पर रोक लगाने या यात्रियों पर अनुचित शर्तें थोपने से जुड़े हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जहां CCI अपने स्तर पर एंटीट्रस्ट नियमों के उल्लंघन की जांच शुरू कर सकता है, वहीं डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) इस पूरे इंडिगो संकट में सरकार की मुख्य जांच का नेतृत्व करना जारी रखेगा।
5,000 से अधिक फ्लाइट्स रद्द, संकट का कारण क्या?
इंडिगो, जिसकी घरेलू विमानन बाजार में हिस्सेदारी लगभग 65% है, ने इस महीने अब तक 5,000 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी हैं। यह व्यापक संकट पायलटों और क्रू की भारी कमी के कारण पैदा हुआ, क्योंकि एयरलाइन पायलटों के लिए नए रेस्ट नियमों को लागू करने में विफल रही। इस विफलता के कारण पीक ट्रैवल सीजन में देश भर के एयरपोर्ट्स पर हजारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरलाइन को वर्तमान में 2,422 कैप्टन की आवश्यकता है, जबकि उसके पास केवल 2,357 कैप्टन ही उपलब्ध हैं। क्रू की कमी से पैदा हुए इस परिचालन संकट ने लाखों यात्रियों को प्रभावित किया है।
⏳ कारण बताओ नोटिस पर इंडिगो का जवाब
DGCA ने इस परिचालन विफलता पर कार्रवाई करते हुए शनिवार को इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स और COO इसिड्रे पोरक्वेरस को कारण बताओ नोटिस भेजकर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा था। हालांकि, एयरलाइन ने सोमवार को विमानन नियामक को सूचित किया कि उनके बड़े और कॉम्प्लेक्स ऑपरेशन के कारण इतनी जल्दी नेटवर्क क्रैश होने के सही कारणों का पता लगाना असंभव है। एयरलाइन अधिकारियों ने DGCA के नियमों का हवाला देते हुए जवाब देने के लिए और समय मांगा, जिसके तहत शो-कॉज नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है।
CCI की संभावित कार्रवाई
CCI इस पूरे मामले पर करीब से नजर रखे हुए है और जल्द ही यह अंतिम फैसला लेगा कि क्या उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले मुद्दों पर औपचारिक जांच शुरू की जाए। अगर CCI को जांच के दौरान किसी कंपनी द्वारा पहली नजर में एंटी-कॉम्पिटिटिव गतिविधियों का पता चलता है, तो वह डायरेक्टर जनरल को एक औपचारिक जांच शुरू करने और आगे की कार्रवाई के लिए अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश देगा। यदि CCI को पहली नजर में कोई कारण नहीं मिलता है, तो वह मामले को बंद कर देगा। गौरतलब है कि इंडिगो पहले भी कथित एंटी-कॉम्पिटिटिव व्यवहार के लिए CCI की जांच के दायरे में आ चुकी है, जिससे इस बार की जांच और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।